एक बार कनहईया को जिदद चढ गई कि मै अपना चित्र बनवाऊँगा, तो कान्हा ने मईया
ते कही, मईया मै अपना चित्र बनवाऊँगो, मईया बोली चित्र बनवाई के क्या
करेगो, कनहईया बोले, मोते कछू ना पतो मै तो बनवाऊँगो, मईया कनहईया ते एक
औरत के पास ले गई जिसका नाम था चित्रा, वो ऐसा चित्र बनाती थी कि कोई पहचान
भि ना पावे था कि असली कौन है...
मईया कान्हा को चित्रा के पास लेकर
गई और कहा कि कानहा का चित्र बनादो, चित्रा ने कानहा को कभी देखा नही था
चित्रा ने कानहा को सिधे खडे होने को कहा लेकिन कानहा टेढे होने के कारण
बार बार टेढे ही खडे रहते, कानहा बोले चित्र बनाना है तो ऐसे हि बनाओ....
लेकिन जब चित्रा ने कानहा कि सुरत देखी तो देखती रह गई...
चित्रा का चित कानहा मे ही कही खो गया
मईया कानहा को लेकर चली गई और चित्रा से बोली चित्र बनाकर कल हमारे घर दे जाना
लेकिन चित्रा जब भी कानहा का चित्र बनाती तो रोने लग जाती और सारा चित्र
खराब हो जाता... किसी तरह उसने चित्र बनाया और मईया के घर गई
जब मईया
ने चित्र देखा तो खूशी के मारे झूम उठी और चित्रा को वचन दिया की ईस चित्र
के बदले तू जो माँगेगी मै दुँगी... चित्रा बोली सच मईया.... मईया बोली हाँ
जो माँगेगी मै दुँगी... चित्रा बोली तो जिसका चित्र बनाया है वाको ही दे
देयो..
मईया ये बात सुन रोने लगी और बोली तु चाहे मेरे प्राण मागँले
पर कानहा को नही.... चित्रा बोली मईया तु अपना वचन तोङ रही है... मईया रोते
हुए बोली तु कानहा के समान कुछ भि माँगले मै दुँगी... चित्रा बोली तो
कानहा के समान जो भी वसतु हो तूम मूझे देदो.... मईया ने घर और बाहर बहुत
देखा पर कानहा के समान कुछ ना मिला.... इतने मे कानहा चित्रा को थोङा साईङ
मे ले जाकर बोले तु मुझे ले जायेगी तो मेरी माँ मर जायेगी.... चित्रा बोली
अगर आप मुझे ना मिले तो मै मर जाउँगी
तब कानहा ने चित्रा को वचन दिया
की जब भी तु मुझे याद करेगी मै तेरे सामने आ जाउँगा.... तब चित्रा खुश होकर
मईया से बोली मईया मै तो मजाक कर रही थी मुझे तेरा लाला नही चाहिये.... ये
सुनकर मईया की जान मे जान आई
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