Friday, September 21, 2012

सुखकारी

करुना सागर अमित गुण ,चरन कमल के माहीं .
सुखकारी शीतल  सदा सतगुरु पड़ा की छाहींके नाम 
 
न्दौ सतगुरु के चरण ,भवजल तारन  पार .
कुमति विनासन  सुखकरण  गर्व प्रहारण हार .
ब्रह्मानंद परात्पर ,सो सतगुरु निज रूप .
परम पार सुख देत है ,सुन्दर रूप अनूप .
सरगुन  निर्गुनके परे, प्रकृति पुरुष ते पार .
तासों अक्षर कहत है ,सो सतगुरु ते वार .
श्री प्राणनाथ तुम सत्य हो ,तुम से चलत जहाज .
मैं आधीन करनी नहीं बांह गाहे की लाज .
श्री प्राणनाथ सतगुरु परम ,विनौं करी परनाम .
उघरही विकत कपाट उर सुमरत जिन

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