तारतम की धारा
एक पन्ना भी पढ़कर उसको, मिल जाये सहारा
हरेक शब्द में इसके जादू, बन गया मनमीत !
राह दिखाई सतगुरु ने, हमने भी जाना है
शब्दों की हर अक्षर से, खुद को भी पहचाना है
शब्दों की हर अक्षर से, खुद को भी पहचाना है
भटकते हुएको राह दिखा दे, सतगुरु की रीत है !
सतगुरु से परमधाम का, मिलता ज्ञान प्रकाश है
विकट समस्या भी हल कर दे, यह सतगुरु के प्रीत है
पढ़ो ध्यान से हर अक्षर, है तारतम गीत संगीत का !
माया सांप ने छीन लिया हो जिलके मन का सुकून
विकारों के जहर से जब काला पड़ जाय खून
उस आत्मा की जोड़ दे पल में धनी से प्रीत
येसी तारतम वाणी से बनाइये इन्द्रियजीत !!
No comments:
Post a Comment