Saturday, October 6, 2012

सर्वोत्तम पुण्य भूमि एवं पवित्र तीर्थ:- भारत भूमि प्राचीन कालसे ही ऋषि-मुनियों, साधू-सन्तों एवं महापुरूषोंकी तपोभूमि रही है, महापुरूषोंने अपने अवतरणसे न केवल भारत वसुन्धराको पवित्र बनाया है अपितु अपनी ज्ञान-गंगा प्रवाहित करके देशवासियोंके मानस-पटलको भी शुद्ध, सात्विक और पवित्र किया है, महापुरूष जिस भूमिमें प्रकट होते हैं, या जहां वे समाधिस्थ होते हैं, एसी पुण्य भूमिको तीर्थ कहा जाता है, श्री ५ नवतनपुरी धाममें महामति श्री प्राणनाथजी महाराजका अवतरण हुआ है तथा श्री निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज तथा श्री प्राणनाथजिका यह कार्यक्षेत्र रहा है, इसी भूमिमें निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज समाधिस्थ हुए हैं, इस दृष्टिसे तीर्थोंकी तीनों विशेषताएं श्री ५ नवतनपुरी धमको प्राप्त है, अत: यह सर्वोत्तम पुण्यभूमि एवं पवित्र तीर्थ मानी गई है । प्रणाम ........................

सर्वोत्तम पुण्य भूमि एवं पवित्र तीर्थ:-


भारत भूमि प्राचीन कालसे ही ऋषि-मुनियों, साधू-सन्तों एवं महापुरूषोंकी तपोभूमि रही है, महापुरूषोंने अपने अवतरणसे न केवल भारत वसुन्धराको पवित्र बनाया है अपितु अपनी ज्ञान-गंगा प्रवाहित करके देशवासियोंके मानस-पटलको भी शुद्ध, सात्विक और पवित्र किया है,

महापुरूष जिस भूमिमें प्रकट होते हैं, या जहां वे समाधिस्थ होते हैं, एसी पुण्य भूमिको तीर्थ कहा जाता है, श्री ५ नवतनपुरी धाममें महामति श्री प्राणनाथजी महाराजका अवतरण हुआ है तथा श्री निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज तथा श्री प्राणनाथजिका यह कार्यक्षेत्र रहा है, इसी भूमिमें निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज समाधिस्थ हुए हैं, इस दृष्टिसे तीर्थोंकी तीनों विशेषताएं श्री ५ नवतनपुरी धमको प्राप्त है, अत: यह सर्वोत्तम पुण्यभूमि एवं पवित्र तीर्थ मानी गई है । प्रणाम ........................

No comments:

Post a Comment