एक प्रेस समाचार के अनुसार अमरीका में डेढ़ करोड़ व्यक्ति शाकाहारी हैं। दस
वर्ष पूर्व नीदरलैंड की ''१.५% आबादी'' शाकाहारी थी जबकि वर्तमान में वहाँ
''५%'' व्यक्ति शाकाहारी हैं। सुप्रसिद्ध गैलप मतगणना के अनुसार इंग्लैंड
में प्रति सप्ताह ''३००० व्यक्ति'' शाकाहारी बन रहे हैं। वहाँ अब ''२५
लाख'' से अधिक व्यक्ति शाकाहारी हैं। सुप्रसिद्ध गायक माइकेल जैकसन एवं
मैडोना पहले से ही शाकाहारी हो चुके हैं। अब विश्व की सुप्रसिद्ध टेनिस
खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा ने भी 'शाकाहार' व्रत धारण कर लिया है।
बुद्धिजीवी व्यक्ति शाकाहारी जीवन प्रणाली को अधिक आधुनिक, प्रगतिशील और
वैज्ञानिक कहते हैं एवं अपने आपको शाकाहारी कहने में विश्व के प्रगतिशील
व्यक्ति गर्व महसूस करते हैं।
संसार के महान बुद्धिजीवी,
उदाहरणार्थ अरस्तू, प्लेटो, लियोनार्दो दविंची, शेक्सपीयर, डारविन,
पी.एच.हक्सले, इमर्सन, आइन्सटीन, जार्ज बर्नार्ड शा, एच.जी.वेल्स, सर
जूलियन हक्सले, लियो टॉलस्टॉय, शैली, रूसो आदि सभी शाकाहारी ही थे।
विश्वभर के डॉक्टरों ने यह साबित कर दिया है कि शाकाहारी भोजन उत्तम
स्वास्थ्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। फल-फूल, सब्ज़ी, विभिन्न प्रकार की
दालें, बीज एवं दूध से बने पदार्थों आदि से मिलकर बना हुआ संतुलित आहार
भोजन में कोई भी जहरीले तत्व नहीं पैदा करता। इसका प्रमुख कारण यह है कि जब
कोई जानवर मारा जाता है तो वह मृत-पदार्थ बनता है। यह बात सब्ज़ी के साथ
लागू नहीं होती। यदि किसी सब्ज़ी को आधा काट दिया जाए और आधा काटकर ज़मीन
में गाड़ दिया जाए तो वह पुन: सब्ज़ी के पेड़ के रूप में हो जाएगी। क्यों
कि वह एक जीवित पदार्थ है। लेकिन यह बात एक भेड़, मेमने या मुरगे के लिए
नहीं कही जा सकती। अन्य विशिष्ट खोजों के द्वारा यह भी पता चला है कि जब
किसी जानवर को मारा जाता है तब वह इतना भयभीत हो जाता है कि भय से उत्पन्न
ज़हरीले तत्व उसके सारे शरीर में फैल जाते हैं और वे ज़हरीले तत्व मांस के
रूप में उन व्यक्तियों के शरीर में पहुँचते हैं, जो उन्हें खाते हैं। हमारा
शरीर उन ज़हरीले तत्वों को पूर्णतया निकालने में सामर्थ्यवान नहीं हैं।
नतीजा यह होता है कि उच्च रक्तचाप, दिल व गुरदे आदि की बीमारी मांसाहारियों
को जल्दी आक्रांत करती है। इसलिए यह नितांत आवश्यक है कि स्वास्थ्य की
दृष्टि से हम पूर्णतया शाकाहारी रहें।
पोषण :
अब आइए, कुछ उन
तथाकथित आँकड़ों को भी जाँचें जो मांसाहार के पक्ष में दिए जाते हैं। जैसे,
प्रोटीन की ही बात लीजिए। अक्सर यह दलील दी जाती है कि अंडे एवं मांस में
प्रोटीन, जो शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व है, अधिक मात्रा में पाया जाता है।
किंतु यह बात कितनी ग़लत है यह इससे साबित होगा कि सरकारी स्वास्थ्य
बुलेटिन संख्या ''२३'' के अनुसार ही ''१०० ग्रा''. अंडों में जहाँ ''१३
ग्रा.'' प्रोटीन होगा, वहीं पनीर में ''२४ ग्रा.'', मूंगफल्ली में ''३१
ग्रा.'', दूध से बने कई पदार्थों में तो इससे भी अधिक एवं सोयाबीन में ''४३
ग्रा.'' प्रोटीन होता है। अब आइए कैलोरी की बात करें। जहाँ ''१०० ग्रा.''
अंडों में ''१७३ कैलोरी'', मछली में ''९१ कैलोरी'' व मुर्गे के गोश्त में
''१९४ कैलोरी'' प्राप्त होती हैं वहीं गेहूँ व दालों की उसी मात्रा में
लगभग ''३३० कैलोरी'', सोयाबीन में ''४३२ कैलोरी'' व मूंगफल्ली में ''५५०
कैलोरी'' और मक्खन निकले दूध एवं पनीर से लगभग ''३५० कैलोरी'' प्राप्त होती
है। फिर अंडों के बजाय दाल आदि शाकाहार सस्ता भी है। तो हम निर्णय कर ही
सकते हैं कि स्वास्थ्य के लिए क्या चीज़ ज़रूरी है। फिर कोलस्ट्रोल को ही
लीजिए जो कि शरीर के लिए लाभदायक नहीं है। ''१०० ग्राम'' अंडों में
कोलस्ट्रोल की मात्रा ''५०० मि.ग्रा.'' है और मुरगी के गोश्त में ''६०'' है
तो वहीं कोलस्ट्रोल सभी प्रकार के अन्न, फलों, सब्ज़ियों, मूंगफली आदि में
'शून्य' है। अमरीका के विश्व विख्यात पोषण विशेषज्ञ डॉ.माइकेल क्लेपर का
कहना है कि अंडे का पीला भाग विश्व में कोलस्ट्रोल एवं जमी चिकनाई का सबसे
बड़ा स्रोत है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। इसके अलावा जानवरों के भी कुछ
उदाहरण लेकर हम इस बात को साबित कर सकते हैं कि शाकाहारी भोजन स्वास्थ्य के
लिए लाभप्रद है। जैसे गेंडा, हाथी, घोड़ा, ऊँट। क्या ये ताकतवर जानवर नहीं
हैं? यदि हैं, तो इसका मुख्य कारण है कि वे शुद्ध शाकाहारी हैं। इस प्रकार
शाकाहारी भोजन स्वास्थ्यप्रद एवं पोषण प्रदान करनेवाला है।
स्वाभाविक भोजन:
मनुष्य की संरचना की दृष्टि से भी हम देखेंगे कि शाकाहारी भोजन हमारा
स्वाभाविक भोजन है। गाय, बंदर, घोड़े और मनुष्य इन सबके दाँत सपाट बने हुए
हैं, जिनसे शाकाहारी भोजन चबाने में सुगमता रहती हैं, जबकि मांसाहारी
जानवरों के लंबी जीभ होती है एवं नुकीले दाँत होते हैं, जिनसे वे मांस को
खा सकते हैं। उनकी आँतें भी उनके शरीर की लंबाई से दुगुनी या तिगुनी होती
हैं जबकि शाकाहारी जानवरों की एवं मनुष्य की आँत उनके शरीर की लंबाई से सात
गुनी होती है। अर्थात, मनुष्य शरीर की रचना शाकाहारी भोजन के लिए ही बनाई
गई हैं, न कि मांसाहार के लिए।
अहिंसा और जीव दया :
आज विश्व
में सबसे बड़ी समस्या है, विश्व शांति की और बढ़ती हुई हिंसा को रोकने की।
चारों ओर हिंसा एवं आतंकवाद के बादल उमड़ रहे हैं। उन्हें यदि रोका जा सकता
हैं तो केवल मनुष्य के स्वभाव को अहिंसा और शाकाहार की ओर प्रवृत्त करने
से ही। महाभारत से लेकर गौतम बुद्ध, ईसा मसीह, भगवान महावीर, गुरुनानक एवं
महात्मा गांधी तक सभी संतों एवं मनीषियों ने अहिंसा पर विशेष ज़ोर दिया है।
भारतीय संविधान की धारा ''५१ ए (जी)'' के अंतर्गत भी हमारा यह कर्तव्य है
कि हम सभी जीवों पर दया करें और इस बात को याद रखें कि हम किसी को जीवन
प्रदान नहीं कर सकते तो उसका जीवन लेने का भी हमें कोई हक नहीं हैं।
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