जहाँ तुलसी के पौधे अत्यधिक मात्रा मेँ होते हैँ,वहाँ की हवा शुद्ध और पवित्र रहती है।वहाँ पर मच्छर भी नहीँ आते है।तुलसी के पत्तोँ मेँ एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है और शुद्ध वायु प्रदान करता है।मलेरिया के कीटाणुओँ का नाश करता है।तुलसी के पौधे के पास बैठकर प्राणायाम करने से कीटाणुओँ का नाश होकर हमारे शरीर मेँ बल,बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है।नित्य प्रातःखाली पेट तुलसी का रस और पानी लिया जाय तो बल,तेज और स्मरणशक्ति मेँ वृद्धि होती है।
तुलसी मेँ एक विशिष्ट क्षार होता है।जिसके मुँह से दुर्गन्ध आती हो,वह व्यक्ति यदि तुलसी के थोड़े-बहुत (4-5) पत्ते नित्य ही खाये तो उसकी दुर्गन्ध दूर हो जाती है।भोजन के बाद थोड़े तुलसी के पत्ते (4-5) चबा लेने से स्वास्थ की वृद्धि होती है,मन-वाणी वश मेँ रहते हैँ।तुलसी हमारे शरीर की विद्युत को बनाये रखती है।तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है।वह गर्म और त्रिदोषनाशक है।रक्तविकार,ज्वर,वायु,खाँ
तुलसी सौन्दर्यवर्धक है,रक्तशोधक है।सुबह-शाम तुलसी का रस और नीँबू का रस साथ मिलाकर चेहरे पर घिसने से काले दाग दूर होते हैँ और सुन्दरता बढ़ती है।"तुलसी के पत्ते खाकर दूध नहीँ पीना चाहिए।" मलेरिया के ज्वर मेँ तुलसी उपयोगी है।ज्वर,खाँसी,श्वास के रोग मेँ तुलसी का रस 3 ग्राम,अदरक का रस 3 ग्राम और एक चम्मच शहद लेने से लाभ होता है।इससे कफ निकालकर श्वास ठीक होता है।तुलसी के रस से जठराग्नि प्रदीप्त होती है।तुलसी कृमिनाशक है।तुलसी के रस मेँ नमक डालकर नाक मेँ बूँदेँ डालने से मूर्च्छा हटती है एवं हिचकी रुकती है।तुलसी किडनी की कार्यशक्ति को बढ़ाती है।रक्त मेँ स्थित कोलेस्टरोल को नियमित करती है।नित्य सेवन से एसिडिटी मिट जाती है।यह स्नायुओँ के दर्द,सर्दी-जुकाम,मेदवृद्धि
फ्रन्च डाँक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है;"तुलसी एक अद्भुत औषधि(wonder drug) है।तुलसी पर किये गये प्रयोगेँ ने सिद्ध कर दिया है कि ब्लडप्रेशर के नियमन,पाचनतंत्र के नियमन,रक्तकणोँ की बढ़ौती एवं मानसिक रोगोँ मेँ तुलसी अत्यंत लाभकारी है।मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारोँ मेँ तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।"
तुलसी रोग तो दूर करती है,तदुपरांत ब्रह्मचर्य की रक्षा मेँ एवं यादशक्ति बढ़ाने मेँ भी अनुपम सहायता करती है।आप अपने घरोँ मेँ ज्यादा से ज्यादा तुलसी के पौधे लगाये और दूसरोँ को भी लगाने के लिए प्रेरित करेँ।हमारे हिन्दू समाज इसके बारे मेँ जानकर इसका प्रयोग करेँ तो रोगोँ से मुक्ति पा सकता है लेकिन उन्हेँ तो उसकी पूजा करना,अगरबत्ती घूमाना,चन्दन चढाना,परिक्रमा करना आदि आदि इन अंधपरंपरा मेँ लगे हुए है तो कहाँ से इसका प्रयोग करेँगे?इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है हमारे देश का?आप इसका प्रयोग जीवन मेँ करेँगे तो स्वास्थ रहेँगे इसकी आरती पूजा और पाठ ही करते रहेँगे तो आप अपने स्वास्थ को कभी भी ठिक नहीँ कर पायेँगे
No comments:
Post a Comment