Saturday, November 10, 2012

आकाश में इन्द्रधनुष क्यों दिखाई देता है?


बरसात के मौसम में जब कभी आकाश में काले-काले बादल छाए होते हैं तो मन बड़ा प्रफुल्लित होता है। उस पर भी यदि हल्की-फुल्की बारिश के छींटें पड़ जाएं जो ऐसा लगता है मानो प्रकृति आज हम पर दिल खोलकर प्यार बरसा रही है।

ऐसे सुंदर मौसम में आकाश में इन्द्रधनुष उभर आना प्रकृति-प्रेमियों के लिए सोने में सुहागा वाली कहावत सच होने जैसा है।
पर आकाश में इन्द्रधनुष क्यों दिखाई देता है?
क्या इसकी कोई धार्मिक मान्यता भी है?
हिन्दू धर्म ग्रंथों में इन्द्र को वर्षा का देवता माना जाता है। आकाश में इन्द्रधनुष प्रकट होने का अर्थ यह है कि वर्षा के देवता इन्द्र अपने धनुष सहित नभ मण्डल में वर्षा करने के लिए उपस्थित हैं।
सूर्य की किरणों में सात रंग होते हैं। बादल जल वाष्प होते हैं मतलब उनमें वर्षा करने के लिए जल भरा होता है।
जैसे ही सूर्य की किरणें बादलों की सतह से टकराती हैं तो वे परावर्तित होती हैं और इन्द्रधनुष यानि सप्तरंगी के रूप में दिखाई देती हैं। बादलों से टकराकर जब सप्तरंगी इन्द्रधनुष बनता है तो लोग आसानी से ये अनुमान लगा लेते हैं कि अभी बादल छाये हुए हैं और बारिश होगी।
इन्द्रधनुष के निकलते ही मोर नाचने लगते हैं और हर तरफ खुशी का माहौल

क्यों जरूरी है जीवन में मौन?

मौन- सुनने में बड़ा भारी सा लगने वाला शब्द पर वास्तव में बड़ा ही अचूक शस्त्र। शस्त्र इसलिए की इससे बड़े से बड़ा दुश्मन भी नतमस्तक हो जाता है।
मौन एक तरह का व्रत है साधना है। मौन-व्रत का सीधा सा मतलब होता है- अपनी जुबान को लगाम देना अर्थात अपने मन को नियंत्रित करते हुए चुप रहना।
मौन का एक अर्थ यह भी होता है अपनी भाषा शैली को ऐसा बनाएं जो दूसरों को उचित लगे।
पर क्या मौन इतना ही जरूरी है?
क्या मौन के बिना जीवन नहीं चल सकता?
मौन की आदत डालने से व्यक्ति कम बोलता है और जब वह कम बोलता है तो निश्चित रूप से सोच समझकर ही बोलता है। इस तरह से वह अपनी जुबान को अपने वश में कर सकता है।
यह बात तो प्रामाणित भी हो चुकी है कि सप्ताह में कम से कम एक दिन मौन रखने से कई आश्चर्यजनक परिणाम मिले हैं। फिर भी यदि मौन पूरे दिन नहीं रख सकते तो आधे दिन का जरूर रखना चाहिए।
बोलने से व्यक्ति के शरीर की शक्ति खत्म होती है। जो जितना ज्यादा बोलता है उसका एनर्जी लेबल, जिसे आन्तरिक शक्ति भी कहते हैं, का नाश होता है। यह आन्तरिक शक्ति शरीर में बची रहे इसलिए भी मौन व्रत जरूरी है।

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