
यह सुनकर द्रोपदी ने उसे खुशी से गले लगा लिया। अर्जुन के आ जाने से महल में रौनक आ गयी थी। उनके इन्द्रप्रस्थ लौट आने की खबर सुनकर कृष्ण और बलराम उनसे मिलने इंद्रप्रस्थ आए। उन्होंने सुभद्रा को बहुत सारे उपहार दिए। बलराम और दूसरे यदुवंशी कुछ दिन रूककर वहां से चले गए लेकिन कृष्ण वही रूक गए। समय आने पर सुभद्रा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम अभिमन्यु रखा गया। द्रोपदी ने भी एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया। युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य, भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम, अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा, नकुल के पुत्र का नाम शतानीक, सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन रखा गया।
No comments:
Post a Comment