यमुना नदी काली क्यों है
यमुना नदी काली क्यों है यमुना या कालिंदी नदी को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को
श्रीकृष्ण की परम भक्त माना जाता है। गंगा को ज्ञान की प्रतीक माना जाता है
तो यमुना भक्ति की। कृष्ण की भक्ति में रंगी यमुना नदी का पानी काला दिखाई
देता है।
यमुना नदी का उद्गम यमनोत्री से हुआ है। यमनोत्री उत्तरांचल
में स्थित है। इस नदी को कालिंदी भी कहा जाता है क्योंकि यह कलिंद नामक
पर्वत से निकलती है। गंगा के समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में
मिल जाती है।
प्रयाग में यमुना नदी का काला पानी गंगा में मिलते हुए
साफ दिखाई देता है। शास्त्रों के अनुसार यमुना सरस्वती नदी की सहायक नदी
रही है। जो बाद में गंगा में मिलने लगी। गंगा ज्ञान की प्रतीक है और यमुना
भक्तिरस की धारा है। कृष्ण रंग में रंगी यमुना का जल प्रेम की गहनता लिए
श्रीकृष्ण के श्याम वर्ण (काला) के समान ही दिखाई देता है।
शास्त्रों के
अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन माना गया है। यमराज और यमुना दोनों का
ही स्वरूप काला बताया जाता है जबकि यह दोनों ही परम तेजस्वी सूर्य की संतान
है। फिर भी इनका स्वरूप काला है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी
छाया थी, छाया दिखने में भयंकर काली थी इसी वजह से उनकी संतान यमराज और
यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। यमुना से यमराज से वरदान ले रखा है कि जो भी
व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। दीपावली के
दूसरे दिन यम द्वितीया को यमुना और यमराज के मिलन बताया गया है। इसी वह से
इस दिन भाई-बहन के लिए भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
यमुना श्रीकृष्ण की भक्ति में पूरी तरह लीन है। इस वजह से भी इसके पानी का रंग काला माना जाता है।
धार्मिक
महत्व के अतिरिक्त प्राकृतिक कारण यह है कि यमुना जिन स्थानों से बहकर
निकलती है वहां की मिट्टी और वातावरण यमुना के जल को श्याम वर्ण प्रदान
करते है।
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