देश की राजधानी दिल्ली में कालका माता मंदिर के पीछे नेहरू प्लेस में लोटस टेंपल स्थित है। इसे बहाई समाज द्वारा बनवाया गया है। इसे कमल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एशिया में बहाई समाज का एकमात्र प्रार्थना केंद्र है। लोटस टेंपल लगभग 26 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका निर्माण 1980 से 1986 के बीच हुआ। इस मंदिर के आसपास तालाब और बगीचों के कारण इसकी सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है। यहां कोई मूर्ति नहीं है। यहां प्रतिदिन सभी धर्मों को मानने वाले हजारों लोग आते हैं। सप्ताह के आखिरी दिनों में और अन्य छुट्टियों के अवसर पर यहां पर्यटकों की भीड़ काफी बढ़ जाती है।
कमल का फूल पवित्रता तथा शांति का प्रतीक है। यह कीचड़ में रहने के बावजूद पवित्र तथा स्वच्छ रह कर खिलता है। यह सिखाता है कि हमें समाज की बुराइयों और कुरीतियों के बीच रहते हुए भी खुद को पवित्र बनाए रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की कोई बुराई हमें प्रभावित ना कर सके, ऐसा हमारा स्वभाव होना चाहिए।
कमल मंदिर में विशाल मैदान है जिस पर हरी घास की चादर फैली हुई है, जो कि आंखों को सुकून प्रदान करती है। मंदिर की ईमारत सफेद पत्थर से बनी हुई है। जिसे देखने से मन को शांति प्राप्त होती है।
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